Friday 14 December 2012

हृदयाघात के लक्षण (Heart Attack)


हृदय एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त संचार करता है। हृदय,रक्त-धमनियों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है, जिन्हें कोरोनरी आर्टरीज कहा जाता है,यदि इन रक्त धमनियों में रुकावट आ जाती है, तो हृदय की मांसपेशियों को रक्त नहीं मिल पाता है वे काम करना बंद कर देती है, इसे हृदयाघात कहते हैं। 

हृदयाघात की गम्भीरता हृदय की मांसपेशियों को नुकसान की मात्रा पर निर्भर करती है। मृत मांसपेशी, पम्पिंग प्रभाव को कमज़ोर कर हृदय के कार्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है, जिससे कंजेस्टिव हार्ट फेल्यर होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है एवं उसके पैरों में पसीना आने लगता है।

हृदयाघात का सबसे सामान्य लक्षण है-छाती में दर्द, जिसमें प्रायः लगता है कि कोई कसकर छाती को दबा रहा है या यहां कुछ भारीपन महसूस होता है, कभी-कभी चुभन या जलन जैसा दर्द भी हो सकता है।

हालांकि यह दर्द कभी भी हो सकता है, बहुत सारे रोगियों को यह सुबह के समय, जगने के कुछ घंटे के भीतर महसूस होता है। छाती का दर्द या तो छाती के बीचोबीच या पसली-पंजर के केंद्र के ठीक नीचे महसूस होता है, औऱ बांह, पेट, गला औऱ निचले जबड़े तक फैल सकता है।

दूसरे लक्षण हैं-कमजोरी, पसीना आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, सांस लेने में तकलीफ, चेतना में कमी, धड़कनें तेज होना, सोचने-समझने की क्षमता में कमी आदि हैं। कई बार हृदयाघात के कारण छाती में जलन, जी मिचलाने और उल्टियां आने पर रोगी इसे अपच की समस्या समझ लेते हैं।

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