Friday 31 August 2012

लकवा ठीक हो सकता है? easy methods to treat paralysis

आधुनिक चिकित्सा विग्यान के मतानुसार लकवा मस्तिष्क के रोग के कारण प्रकाश में आता है।इसमें अक्सर शरीर का दायां अथवा बायां हिस्सा प्रभावित होता है। लकवा का आक्रमण होने पर रोगी को सीलन रहित और तेज धूप रहित कमरे मे आरामदायक बिस्तर पर लिटाना चाहिये।
Paralysis


लकवा पडने के बाद अगर रोगी ह्रीष्ट-पुष्ट है तो उसे ५ दिन का उपवास कराना चाहिये। कमजोर शरीर वाले के लिये ३ दिन के उपवास का प्रावधान करना उत्तम है। उपवास की अवधि में रोगी को सिर्फ़ पानी में शहद मिलाकर देना चाहिये। एक गिलास जल में एक चम्मच शहद मिलाकर देना चाहिये। इस प्रक्रिया से रोगी के शरीर से विजातीय पदार्थों का निष्काशन होगा, और शरीर के अन्गों पर भोजन का भार नहीं पडने से नर्वस सिस्टम(नाडी मंडल) की ताकत पुन: लौटने में मदद मिलेगी।

उपवास के बाद रोगी को कबूतर का सूप देना चाहिये। कबूतर न मिले तो चिकन का सूप दे सकते हैं। शाकाहारी रोगी मूंग की दाल का पानी पियें। रोगी को कब्ज हो तो एनीमा दें।

लहसुन की ५ कली पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर रोगी को चटा दें।

१० ग्राम सूखी अदरक और १० ग्राम बच पीसलें इसे ६० ग्राम शहद मिलावें। यह मिश्रण रोगी को ६ ग्राम रोज देते रहें।

लकवा रोगी का ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें। अगर रोगी के खून में कोलेस्ट्रोल का लेविल ज्यादा हो तो उपाय करना वाहिये।

रोगी तमाम नशीली चीजों से परहेज करे। भोजन में तेल,घी,मांस,मछली का उपयोग न करे।

बरसात में निकलने वाला लाल रंग का कीडा वीरबहूटी लकवा रोग में बेहद फ़ायदेमंद है। बीरबहूटी एकत्र करलें। छाया में सूखा लें। सरसों के तेल पकावें।इस तेल से लकवा रोगी की मालिश करें। कुछ ही हफ़्तों में रोगी ठीक हो जायेगा। इस तेल को तैयार करने मे निरगुन्डी की जड भी कूटकर डाल दी जावे तो दवा और शक्तिशाली बनेगी।

एक बीरबहूटी केले में मिलाकर रोजाना देने से भी लकवा में अत्यन्त लाभ होता है।

सफ़ेद कनेर की जड की छाल और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकावें। यह तेल लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें। अवश्य लाभ होगा।

लहसुन की ५ कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें। इससे ब्लडप्रेशर ठीक रहेगा और खून में थक्का भी नहीं जमेगा।

लकवा रोगी के परिजन का कर्तव्य है कि रोगी को सहारा देते हुए नियमित तौर पर चलने फ़िरने का व्यायाम कराते रहें। आधा-आधा घन्टे के लिये दिन में ३-४ बार रोगी को सहारा देकर चलाना चाहिये। थकावट ज्यादा मेहसूस होते ही विश्राम करने दें।

लकवा रोगी के लिये जीवनचर्या के खास-खास नियम जो उपर बताये हैं इनका सावधानी से पालन करें। इन उपायों से अधिकांश रोगी ठीक होगे।



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Thursday 30 August 2012

नमक कम कीजिए, कैंसर को 'दूर रखिए'


ये बात तो ज़्यादातर लोग जानते हैं कि भोजन में नमक की मात्रा सीमित रखने से ऊच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी दूर रखने में मदद मिलती है.

एक शोध के मुताबिक भोजन में ब्रेड, बेकन और ब्रेकफ़ास्ट सीरियल्स जैसे नमकीन या लवणयुक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा कम करने से पेट का कैंसर होने की संभावना भी कम हो सकती है. ये कहना है वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड यानी डब्ल्यूसीआरएफ़ का संस्था चाहती है कि लोग कम नमक खाएं और खाद्य पदार्थों के लेबलों पर उनके तत्वों की जानकारी ज़्यादा बेहतर तरीके से छापी जाए.

डब्ल्यूसीआरएफ़ का कहना है कि ब्रिटेन में पेट के कैंसर का हर सात में से एक मामला रोका जा सकता है, अगर लोग रोज़ कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखें. 
कैंसर रिसर्च यूके का कहना था कि ये संख्या ज़्यादा भी हो सकती है.

सही चुनाव ज़रूरी

भोजन में बहुत ज़्यादा नमक रक्तचाप के लिए ख़राब होता है और इससे दिल की बीमारी और स्ट्रोक हो सकता है. लेकिन ज़्यादा नमक से कैंसर भी हो सकता है. भोजन में प्रतिदिन छह ग्राम नमक सही माना जाता है यानी लगभग एक चाय का चम्मच.  लेकिन वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के मुताबिक लोग प्रतिदिन 8.6 ग्राम नमक खाते हैं. ब्रिटेन में हर साल पेट के कैंसर के लगभग 6,000 मामले सामने आते हैं.

डब्लूयसीआरएफ़ का अनुमान है कि अगर हर व्यक्ति प्रतिदिन छह ग्राम नमक की सीमा को माने तो इनमें से कैंसर के 14 प्रतिशत यानी लगभग 800 मामले कम हो सकते हैं. संस्था की स्वास्थ्य सूचना अधिकारी केट मेंडोज़ा कहती हैं, "पेट के कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज मुश्किल है क्योंकि ज़्यादातर मामले बीमारी बढ़ने के बाद ही सामने आते हैं." वे आगे कहती हैं, "इस वजह से बीमारी की रोकथाम के लिए ये और भी ज़्यादा ज़रूरी है कि लोग अपनी दिनचर्या और जीवनशैली में सही चुनाव करें जैसे भोजन में नमक की मात्रा कम करना और ज़्यादा फल और सब्ज़ियां खाना." खाने में ज़्यादा नमक का मतलब सिर्फ़ भोजन में ऊपर से नमक डालना नहीं है क्योंकि नमक की एक बड़ी मात्रा तो पहले से ही खाद्य पदार्थों के अंदर मौजूद होती है.

लेबल पर जानकारी

इसीलिए डब्लयूसीआरएफ़ चाहता है कि खाद्य पदार्थों को लेबल करने यानी उनमें मौजूद तत्वों की जानकारी के लिए "ट्रैफ़िक-लाइट" प्रणाली का इस्तेमाल किया जाए.
कैंसर रिसर्च यूके की लूसी बॉयड कहती हैं, "ये शोध हाल ही में आई कैंसर रिसर्च यूके की उस रिपोर्ट को साबित करती है जिसके मुताबिक ब्रिटेन में पेट के कैंसर से ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ने का एक कारण भोजन में बहुत ज़्यादा नमक होना भी है. अगर खाद्य पदार्थों की जानकारी मुहैया कराने के लिए ट्रैफ़िक लाईट लेबलिंग जैसी प्रणाली का इस्तेमाल हो तो इससे लोगों को भोजन में नमक की मात्रा कम करने में मदद मिलेगी."
इस प्रणाली के तहत लेबल पर लाल रंग का मतलब खाद्य पदार्थ में बहुत ज़्यादा नमक, पीले रंग का मध्यम और हरे रंग का मतलब कम नमक होता है.


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Wednesday 29 August 2012

मोटापा ले सकता है बच्चों की जान

बहुत मोटे बच्चे अगर प्राइमरी स्कूल जा रहे हों या फिर हाई स्कूल, उन्हें हृदय रोग का खतरा हो सकता है. 

बच्चों में मोटापा से होनेवाले इस खतरे के बारे में पुर्तगाल में किए गए शोध से पता चला है. माना जाता है कि मध्य वय के लोगों को हृदय रोग का खतरा होता है, लेकिन हालिया शोध में दो साल से 12 साल के बच्चों में भी यह खतरा दिखने लगता है. 

डच शोधार्थियों ने 307 बच्चों के उपर किए गए अध्ययन में पाया कि मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप का लक्षण तो पाया ही गया जो हृदय रोग होने के महत्वपूर्ण लक्षण हैं. इस शोध को ‘आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहूड’ में पेश किया गया. पूरी दुनिया में मोटापा एक बड़ी बीमारी के रूप में सामने आने लगा है. 

आजकल बहुत ही कम उम्र के बच्चे मोटापन का शिकार होने लगते हैं बॉडी मास इंडेक्स के अनुसार जिन बच्चों का दो साल की उम्र में बॉडी मास इंडेक्स 20.5 है उन्हें काफी मोटा माना जाता है लेकिन अगर किसी 18 साल के लड़के का इंडेक्स 35 है तो उन्हें भी बहुत मोटा माना जाता है. 

एम्सटरडम के वी यू यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में बच्चों पर 2005 से 2010 तक तैयार किए गए आंकड़ो से यह शोध तैयार किया गया है. उस शोध में पता चला है कि मोटे बच्चों को हृदय रोग का खतरा बना रहता है. शोध में कहा गया है, “ सबसे बुरी खबर यह है कि 12 वर्ष से कम उम्र के मोटे बच्चों में हृदय रोग के लक्षण दिखाई दिए हैं.” शोध में कहा गया है कि जिन बच्चों पर शोध किया गया है उनमें से आधा से अधिक बच्चों में उच्च रक्तचाप और कुछ बच्चों में निम्म रक्तचाप के लक्षण पाए गए हैं. साथ ही, कुछ बच्चों में ‘अच्छे कोलेस्ट्रोल’ की मात्रा काफी कम पाई गई. इसके साथ ही मोटे बच्चों में मधुमेह की बीमारी भी पाई गई. 

ब्रिटिश हर्ट फॉउंडेशन में हृदय रोग की वरिष्ठ नर्स डोइरन मैडॉक का कहना है, “हालांकि यह काफी छोटा अध्ययन है, फिर भी इस खबर से निराशा होती है.”

हालांकि वो कहती है, “यह एक ऐसी समस्या है जिसका समधान ढ़ूढ़ा जा सकता है और अवयस्क बच्चों में बढ़ रहे मोटापा को कम किया जा सकता है.” डोडरन मैडोक का कहना है कि मोटापा से बचने के लिए बच्चों को स्वस्थ्य खान-पान की तरफ ध्यान आकर्षित कराना पड़ेगा जिससे कि भावी पीढ़ी को बचाया जा सके.



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Tuesday 28 August 2012

गर्म रातों में कैसे पाएं सुकून की नींद ?

इस साल ब्रिटेन के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में आंशिक तौर पर गर्म हवा का असर रहा है. इन गर्म और उमस भरी रातों में सोना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में अच्छी नींद भला कैसे पाई जा सकती है, ये एक बड़ा सवाल है?

लेकिन ब्रिटेन में जहां आमतौर पर इतनी ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती, वहां के लोग भला कैसे अच्छी नींद पाएं, ये एक बड़ा सवाल है?अमरीका जैसी जगहों पर जहां बड़े आकार के एयर कंडीशनर आसानी से मिल जाते हैं, वहां ज्यादा तापमान भी मायने नहीं रखता.

विशेषज्ञों की सलाह

मौसम वैज्ञानिक फिलिफ एडन, भूमध्यसागर में प्रयोग में लाई जाने वाली तकनीक की सलाह देते हुए कहते हैं, ''मैं दिन के समय अपने घर के सभी पर्दों को लगाए रखता हूं ताकि सूरज की रौशनी अंदर ना आ सके. जिस तरफ से धूप आती है, वहां की खिड़कियों को बंद रखता हूं और जहां छाया होती है, उधर की खिड़कियां खुली रखता हूं. इसका मतलब ये भी होता है कि मैं दिनभर खिड़कियों को बंद करने के लिए घर के भीतर दौड़ लगाता रहता हूं.''
एडन सोने से ठीक एक घंटे पहले सभी खिड़कियों को खोल देते हैं. लेकिन हर कोई अपने घर की खिड़की भी नहीं खोल सकता है. क्योंकि अगर आप नीचे के माले में रहते हैं तो चोर बड़ी आसानी से आपके घर में हाथ साफ कर सकते हैं. अगर चोरों से बच गए तो मच्छर आपको नहीं छोड़ेंगे.
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में स्लीप एंड रेस्पिरेटरी फिज़ियोलॉजी के प्रोफेसर मेरी मोरल के अनुसार, ''ऐसे में सबसे कारगर उपाए है बिजली का पंखा इस्तेमाल करना. ये आपके शरीर से निकलने वाले पसीने को सुखाने में आपकी मदद करेगा.''

मामला सिर्फ तापमान और उमस का नहीं

मेरी मोरल बिस्तर पर नायलोन के बजाए सूती चादर बिछाने और ग्रामीण इलाकों में मच्छरदानी इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं.
लफबोराह यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल स्लीप रिसर्च यूनिट के प्रोफेसर केविन मोर्गन मानते हैं कि ये मामला सिर्फ तापमान और उमस का नहीं है.
इसका मतलब ये होता है कि हम बिस्तर पर एक बिल्कुल ही दूसरी शारीरिक और मानसिक स्थिति में जाते हैं. अक्सर लोग ऐसे माहौल में सामान्य से ज्यादा शराब पी लेते हैं, जो बिल्कुल सही नहीं है. क्योंकि ये एकदम अलग किस्म का नियम या मानसिक स्थिति पैदा करता है.
\केविन मॉर्गन कहते हैं, ''इतनी गर्मी में जब आप बिस्तर पर जाते हैं तो आपको आसानी से नींद नहीं आती. जो चीज़ें आपको सोने नहीं देतीं, आप उन्हीं के बारे में सोचना शुरु कर देते हैं. ऐसे में आप अपनी समस्याओं के बारे में सोचना शुरु ना कर दें, ये कहीं ना कहीं आपको अनिद्रा की तरफ लेकर जाती है. ऐसे में दिन के वक्त नींद पूरी करना और रात में कोई किताब या अखबार पढ़ लेना बेहतर उपाय है.''

ड्रिंक का नींद से संबंध

ऐसे में कोई तरल पदार्थ लेना सही नहीं होगा जब तक कि आप ऐसा आमतौर पर करते आ रहे हों.
केविन मॉर्गन कहते हैं, ''अगर आपको एकाध ड्रिंक लेने की आदत है तो फिर कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर आपको इसकी आदत नहीं है तो ऐसा बिल्कुल ना करें. शराब कई बार आपको नींद में ले जाने के लिए बेहतर साबित होती है, लेकिन जगाने के लिए ये बिल्कुल सही नहीं है.''
इसके अलावा ठंडे पानी से नहाना भी कोई सही उपाय नहीं है, इससे आपको थोड़ी देर के लिए तो राहत मिल सकती है लेकिन ये ज्यादा कारगर नहीं है. अगर नहाना हो तो हल्के गुनगुने पानी से नहाएं.
मॉर्गन के अनुसार, ''मुख्य बात ये है कि ऐसी स्थिति में परेशान ना हों. अगर आप स्वस्थ हैं तो दो रात बगैर सोए भी रह सकते हैं.''
क्योंकि तीसरी रात तक आप इतने थक जाएंगे कि खुद-ब-खुद आपको नींद आ जाएगी, तापमान चाहे जैसा भी हो.




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किडनी की पथरी (Kidney Ki Pathary)

खान-पान आदि में गड़बड़ी,भोजन का पाचन ठीक न होना,समय से शौच,पेशाब न जाना,व रोके रखना आदि कारणों से शरीर के भिन्न-२ हिस्सों में रूकावट होने से भिन्न-२ रोग पैदा हो जातें हैं.रुकावटों के कारण ही किडनी में पथरी बननें लगती है,समय पर ध्यान न देने के कारण ये बढ़ने लगती है,जब तक दर्द नहीं होता हम ध्यान ही नहीं देते,कई बार छोटी पथरी अपने आप ही निकल जाती है.यदि पथरी किडनी में है तो निकलना आसान होता है,यदि युरेटर (किडनी से मूत्राशय को जोड़ने वाली नली)में फंस जाये और साईज बड़ी हो तो ओपरेशन ही सहारा होता है, 

यदि छोटी हो तो दवा से निकालने का प्रयास सफल हो जाता है ओपरेशन से डरने वालों को दवा खाना अच्छा लगता है मेरे अनुभव के अनुसार प्रयोग की गयी सफल रेमेडी जनकल्याण हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ ,आपका कष्ट शीघ्र दूर होगा वरुण की छाल २००ग्राम,पाषाणभेद(पत्थरचट्टा) २०० ग्राम, गोखरू ५० ग्राम,दो लीटर पानी में उबालें पानी आधा रहने पर कपडे से छाने,बोतल में भर लें,इसमें १०० ग्राम शहद, १० ग्राम शुद्ध शिलाजीत,स्वाद के अनुसार गुड मिलाएं. इसे २० ग्राम की मात्रा में सुबह -शाम सेवन करें . यदि दर्द हो तो इन्दर जौँ १०० ग्राम,सफ़ेद निशोथ १०० ग्राम का चूरण बनायें ,१-१ चम्मच की मात्रा में गर्म पानी से लें ,२-३ सप्ताह में ही पथरी घुलकर निकल जाती है,यदि पथरी छोटी सी ही तो पाषाणभेद(पत्थरचट्टा)के ३ पत्ते रोज़ निराहार खाने से भी पथरी निकल जाती है



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Sunday 26 August 2012

क्या उपवास है लंबी उम्र, अच्छी सेहत का नुस्ख़ा?

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर नियंत्रित तरीके से कुछ समय का उपवास रखा जाए तो इससे न सिर्फ बढ़ते वजन को घटाने बल्कि तमाम स्वास्थ्य संबंधी फायदे हो सकते हैं.

कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि उपवास रखना अकसर कष्टदायक होता है और इसका लंबे समय में कोई फायदा नहीं होता है. इसलिए जब मुझसे भूखा रहकर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कहा गया तो मैं कतई उत्साहित नही था.
लेकिन 'हॉराइजन' (बीबीसी टीवी का एक कार्यक्रम) के संपादक ने मुझे भरोसा दिलाया कि ये एक नया विज्ञान है और इससे शायद मुझे अपने शरीर में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिलें.
मुझमें इतनी आत्मशक्ति नहीं थी कि मैं लंबे समय तक बिना खाए- पिए रह सकूं, लेकिन मुझमें इस बात का कारण खोजने की बेहद दिलचस्पी थी कि आखिर कम खाने से क्यों जीवन की अवधि बढ़ जाती है.
हम 1930 से ही उस प्रयोग के बारे में जानते हैं जिसमें पाया गया था कि कम कैलोरी पर पल रहे चूहे उन चूहों की तुलना में ज्यादा दिन तक जिन्दा रहे जिन्हें पौष्टिकता से भरपूर भोजन दिया गया था.
हार्मोन आईजीएफ-1
स्तनधारियों में जीवन अवधि बढाए जाने का विश्व रिकार्ड एक नई प्रजाति के चूहे का है जिसकी उम्र 40 फीसदी तक बढ़ सकती है. इस हिसाब से मनुष्य एक सौ बीस वर्ष की उम्र पा सकता है.
ये चूहे अनुवांशिक रुप से संवर्धित थे इसलिए इसके शरीर में बहुत ही कम मात्रा में उस हार्मोन आईजीएफ-1 का स्राव होता है जो उम्र बढ़ने के असर को बढ़ाता है.
शरीर में जितने अधिक आईजीएफ-1 हार्मोन का स्राव होगा उसका असर उम्र पर उतना ही अधिक होगा.
ये हार्मोन उस समय के लिए तो बहुत अच्छा है जब कोई बच्चा बढ़ रहा होता है, लेकिन उसके बाद की उम्र के लिए ये हार्मोन अच्छा नहीं है. पर इस हार्मोन आईजीएफ-1 के स्तर को उपवास रखकर घटाया जा सकता है. इसके पीछे की वजह शायद ये हो सकती है कि जब खाना खाना बंद कर दिया जाता है तो ये हार्मोन शरीर की वृद्धि की जगह उस शरीर में आ रही कमी को दुरुस्त करने लगता है.
अभी प्रमाणिक नहीं
दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर वाल्टर लौंग कहते हैं कि जैसे ही शरीर में आईजीएफ-1 हार्मोन का स्तर कम होता है तो इसका असर शरीर पर होता है और मरम्मत करने वाले कई जीन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं
कहा जाता है कि शरीर में आईजीएफ-1 की बहुत कम मात्रा से इंसान बौना रह जाता है लेकिन वो बढ़ती उम्र से जुड़े दो प्रमुख रोगों कैंसर और मधुमेह से सुरक्षित रहते हैं.
हांलाकि मेडिकल आधार पर उपवास के फायदे अभी तक सिद्ध नही हैं और इस तरह के काफी शोध ऐसे है जो कहते है कि एक व्यक्ति को कम से कम दिन में दो हज़ार कैलोरी की जरुरत होती है.
तो ऐसे में अगर आप उपवास रखते हैं तो ऐसा डॉक्टरों के निरीक्षण में करें क्योंकि गर्भवती महिलाओं और मधुमेह के मरीज़ो के लिए ये खतरनाक भी हो सकता है.
कुलमिला कर संतुलन सबसे अच्छा रास्ता है चाहे खाने में हो या फिर उपवास में.



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Sunday 19 August 2012

Shakuntla Nursing Home & Hospital :: Life Style Sessions



These  sessions  are dedicated to providing preventive health care programmes, rehabilitation, long term wellness education and fitness management.

our top priority is to provide our clients with safe and effective programmes by understanding and working with their ament health status and lifestyle needs.


·        Prenatal sessions

·        Preconceptional sessions

·        Cooking and healthy eating sessions

·        Weight loss sessions

·        Life style modification sessions

·        Smoking and deaddiction  sessions



First aid and basic life support:-

First aid is the initial assistance or treatments given at the site of accident to someone who is it injured or suddenly take ill.

First aid facility are available 24 hrs by professional team. Basic life support and advanced life support is also available 24 hrs by group of professionals.

·        Defibrillators

·        Monitoring equipments in dude portable monitors  

·        With a minimum of pulse oximetry, ECG, non invasive blood pressure.

Tuesday 7 August 2012

Shakuntla Nursing Home & Hospital :: Health and Wellness Workshops

Quality of Worklife offers health promotion and wellness workshops on a variety of topics each semester. Classes are free of charge, and are typically held on campus during lunchtime (feel free to bring your lunch with you).

"Health and Wellness Workshops" is an educational program sponsored by the Student Health Service in cooperation with several SFSU faculty from various departments. Through the program, students receive incentives such as extra credit for attending one or more health education workshops.

Health & Wellness workshops and seminars can help your employees proactively manage a wide variety of issues – from insomnia to obesity. Improve your bottom line by putting your employees in charge of their health and well¬being. A specified number of training hours are included with our standard EAP solutions. Individual titles or bundles of hours can also be purchased. Titles include:

General Health
Optimal Health for Men
Optimal Health for Women
Children's Health
Staying Healthy During Flu Season
Readiness for Healthy Change
Improving Longevity and Quality of Life


Weight Management
Helping Your Teen Achieve a Healthy Weight
Weight Management
Helping Your Child Lose Weight
Nutrition


Fitness
Fitness and Exercise
Sit and Fit
Walking for Health and Longevity
Fitness and Your Brain: Avoiding Dementia


Other Examples...

Insomnia
Smoking Cessation
Heart Health
Coping with Depression
Postpartum Depression
Workplace Ergonomics
Shift Work and Stress





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LPG Gas Pipe Fitting Commercial 
Bulk Storage Gas
Melt Flow Index
Analytical Balance