Thursday 10 January 2013

ठंड में बच्चों की देखभाल


गिरते पारे और शीत लहर से बड़ों का बुरा हाल है तो नन्हे-मुन्नों का क्या होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी ठंड में बच्चों का सामान्य सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाना स्वाभाविक है। ऐसे हालात में कुछ एहतियात और फौरी उपचार जरूरी हो जाते हैं।

बच्चे बड़ों की तरह एक जगह नहीं बैठते हैं इसलिए उन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। सर्दियों में बच्चों को रोज नहलाने की जगह गर्म पानी में कपड़े को भीगोकर उनके शरीर को पोंछ दें। इससे उन्हें ठंड लगने की संभावना कम हो जाएगी।

अगर बच्चा तीन माह से कम का हो :

नाक से पानी आने लगे, धीरे-धीरे गाढ़ा होने के साथ इसका रंग पीला या हरा होने लगे तो तुरंत डाक्टर की मदद लेनी चाहिए, क्योंकि अगर जुकाम वायरस के कारण हो तो एंटीबायटिक भी उसमें मदद नहीं कर पाती।
नवजात शिशुओं में ये लक्षण बहुत कम समय में न्यूमोनिया या इस तरह की अन्य गंभीर बीमारियों में तब्दील हो जाते हैं।

अगर बच्चा थोड़ा ज्यादा उम्र का है और उसमें उपरोक्त लक्षण नजर आ रहे हैं तो अमूमन घर पर भी उपचार किया जा सकता है:


  • बच्चे की नाक में कोई ऐसा उपयुक्त तरल पदार्थ डालना चाहिए, जिससे उसकी बंद नाक खुल सके।
  • थोड़े-थोड़े अंतराल पर बच्चे को आहार देते रहें। अगर बच्चा स्तन पान करता है तो उसे जारी रखना चाहिए, क्योंकि मां का दूध जुकाम के लिए जिम्मेदार जीवाणुओं के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अगर नाक में बलगम ज्यादा मोटा हो गया हो तो रबर बल्ब सीरिंज की मदद ली जा सकती है। यह सीरिंज मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होता है। इसके जरिए नाक से बलगम निकाला जा सकता है। 
  • बच्चों को कफ दबाने वाली और जुकाम से संबंधित अन्य दवाएं न दे तो ही बेहतर। 
  • सोने से कुछ मिनट पहले बच्चे को भाप दें। लाभ होगा।
  • बच्चे को बीमार लोगों से दूर रखें, खास कर शुरुआती मामले में। आम तौर पर जुकाम सांस से बाहर आने वाली कफ की बारीक बूंदों या छींक से फैलती है।