Friday 26 October 2012

5 Tips to Manage Weight Gain During Pregnancy


It is normal to put on weight during pregnancy. The body is changing and growing, to bring in a new life, however it is essential to watch your weight gain along with managing healthy growth norms for the baby.

It is important to know how much weight one needs to gain during pregnancy and that should be kept as a target. On an average the weight gain is between 12 – 15 kg for women with normal weight. Underweight women can gain little more than this and overweight women a little less. It is good to read extensively about pregnancy and learn about the consequences of extra weight gain in terms of gestational diabetes, high blood pressure, back ache, fatigue, breathlessness, varicose veins and complications during labor and delivery 

Pregnant women must weigh themselves regularly and keep watch on the weight and maintain records. It is also important to stay active during the day and exercise as recommended by the doctor.

Pregnancy is NOT the time to diet. So follow these 5 simple principles and have a happy pregnancy. 

1. Do NOT eat for two: Remember, you are not eating for two people and calorie increase in pregnancy is only about 350 calories and 25 grams of proteins, which can be accomplished with two glasses of extra milk or curds or its equivalent. Eat small frequent meals rather than three large meals to avoid hunger pangs, heart burn and breathlessness.
2. Eat healthy: Eat a healthy balanced diet which is adequate in proteins, calcium and other vitamins and minerals including iron. Use low fat milk or it’s products like curds and cheese, whole pulses, whole grains, fresh green vegetables, fruits, soy for vegetarians and fish and chicken for non vegetarians – It is important to watch for cooking fat and invisible fat present in milk, curds, cheese, fish and chicken – keep the preparations low fat like grilled or roasted and avoid gravies. While snacking, stick to healthy snacks like roasted channa, soy and other pulses, sprouts, dhokla, khandivi, whole wheat bread vegetable sandwich with low fat hung curd as dressing,and fruits.
3. Avoid Fats: Avoid fatty foods like too much of ghee, oil, fried foods like pranthas, puris, bhujias, ladoos and panjiris. Roasted Almonds and walnuts should be taken in moderation as a substitute for fat.
4. Drink lot of fluids: Low fat butter milk, fresh lime, coconut water, and clear soups are good since they act as fillers for the stomach and keep the body hydrated.
5. Switch to high fiber foods: High fiber foods are a recommendation as they avoid constipation and are good low calorie filler. Use whole wheat bread, oats, whole wheat mixed atta chappati, whole pulses, 4-5 servings of fruits and vegetables. Use less of potatoes, other root vegetables, mangoes, bananas, dates and grapes.

Saturday 20 October 2012

टोंसिल्स (tonsils)

टोंसिलस होने पर गले के द्वार पर दोनों साईड मैं दो गोली जैसे हिस्से फूल जातें हैं . जिनमें काफी दर्द होता है खान-पीना मुश्किल हो जाता है .

कई बार इनमे से पनीर जैसा पदार्थ भी निकलता है .जहाँ आखरी दाढ़ होती है वहां दर्द होता है. इसका घरेलु उपचार बड़ा ही सरल है .करना क्या है 

अमलताश की फली का एक इन्च टुकड़ा मोटा-मोटा कूट लें ,दो-तीन चुटकी हल्दी,थोडा सा काला नमक, दो गिलास पानी मैं उबालें,फिर छान लें ,गरारे करने लायक गर्म रहने पर , गरारे करे .कुछ ही दिनों में टोंसिलस ठीक हो जायेंगे . 

ओपरेशन की भी ज़रुरत नहीं पड़ेगी

Friday 19 October 2012

मलेरिया की हर तीसरी दवा नकली


आँकड़ों से पता चला है कि पूरी दुनिया में मलेरिया के इलाज के लिए उपयोग में आ रही हर तीसरी दवा ‘नकली’ है.
इतना ही नहीं, शोध से यह भी पता चला है कि यह दवा नुकसानदेह भी है.

दक्षिण पूर्व एशिया के सात देशों में किए गए शोध से पता है कि इन दवाओं की गुणवत्ता बहुत ही खराब है.
पंद्रह सौ लोगों पर किए गए शोध के बाद शोधकर्ताओं ने बताया है कि खराब गुणवत्ता वाली मलेरिया की दवा न सिर्फ अन्य दवाओं के असर को कम कर देती है, बल्कि दूसरे इलाजों पर भी असर डालती है.
अफ्रीकी उप सहारा के अन्य 21 देशों में 2500 लोगों पर किए गए इस सर्वे में भी इसकी पुष्टि हुई है. संक्रमण बीमारियों पर लांसेट का जो शोध है, इसे विशेषज्ञों ने चेतावनी के रूप में देखना शुरू कर दिया है.
भारत-चीन पर शोध नहीं

मलेरिया पर शोध कर रहे अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के फॉगर्टी इंटरनेशनल सेंटर के शोधकर्ताओं का मानना है कि समस्या इतनी ही नहीं है जितनी कि आकड़ों से पता चलता है. हो सकता है कि हालात इससे भी ज्यादा गंभीर हों.
शोधकर्ताओं का कहना है, "ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं होते हैं या फिर गलत जगह दर्ज करा दिए जाते हैं या दवा बनाने वाली कंपनियां इसे छुपा देती है."
शोधकर्ताओं ने कहा है कि दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी वाले देश भारत या चीन में इस पर गहन शोध नहीं किया गया है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक ‘शायद’ इन दोनों देशों में ही सबसे ज्यादा नकली और मलेरिया रोधी दवा बनती हैं.
तीन अरब लोगों पर खतरा

मलेरिया पर हुए शोध के प्रमुख शोधकर्ता गौरविका नायर का कहना है कि पूरी दुनिया के 106 देशों में तकरीबन 3.3 अरब लोगों पर मलेरिया का खतरा मंडरा रहा है.
गौरविका नायर का कहना है, “हर साल छह लाख 55 हजार से 12 लाख लोग प्लाजमोडियम फलसिपारम के संक्रमण से मरते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को इस बीमारी से और मरने से रोका जा सकता है बशर्ते कि वक्त पर अच्छी दवा, उपयुक्त समय पर मरीजों को उपलब्ध करा दिया जाए.”
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जो देश मलेरिया से मुक्त है, वहां मलेरिया रोधी दवा का इस्तेमाल कभी डॉक्टरों के सलाह पर और कभी बिना उनके सलाह के धड़ल्ले से किया जा रहा है.
निगरानी में कमी

शोध में यह भी बताया गया है कि मलेरिया रोधी दवा के इस्तेमाल करने के बाद इस पर निगरानी रखने की व्यवस्था नहीं है. इससे गरीब मरीजों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि इतना कुछ होने के बाद भी मलेरिया से होनेवाली मौत में पूरी दुनिया में वर्ष 2000 से 25 फीसदी और अफ्रिका के क्षेत्र में 33 फीसदी की कमी आई है.
डब्लूएचओ का मानना है कि अगर इसी रफ्तार से मलेरिया के रोकथाम का कार्यक्रम चलता रहा तो निर्धारित समय में इस बीमारी से निजात नहीं पाई जा सकती है.
डब्लूएचओ का कहना है कि सरकार को इस पर और अधिक ध्यान दिए जाने की जरुरत है. सरकार को इस पर कड़ी नजर रखनी चाहिए जिससे नियत समय पर इससे मुक्ति मिल सके.

Thursday 18 October 2012

लू से राहत


लू एक आकस्मिक दुर्घटना है। गर्मी के दिनों में प्रचंड ताप से जब शरीर का ताप 130 f से अधिक हो जाता है, तो लू लग जाती है। इस मौसम में सूर्य की तप्त किरणों के प्रभाव से सिर के अधिक तप जाने पर ऎसा होता है। लू में कफ क्षीण और पित्त की आकस्मिक वृद्धि होकर शरीर जलने लगता है, तेज बुखार हो जाता है।

लक्षण
पसीना ज्यादा निकलता है, ताप अधिक रहता है। मूत्र तथा रक्त में लवण की कमी और रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है। रक्तचाप में कमी आने से चक्कर आना तथा मूर्छा होती है, आंखों के आगे अंधकार छाने लगता है, मूत्र की मात्रा कम हो जाती है। पेशियों का कड़ा होना, सिर में पीड़ा, पतले दस्त आना, शक्तिहीनता, उदर तथा हाथ पैरों में ऎंठन होती है। इससे जान लेना चाहिए कि लू लग गई है।

प्रथमोपचार
रोगी को तत्काल ठंडी छाया वाले हवादार स्थान पर ले जाकर लिटा दें। तुरंत कपड़ों को उतार कर सिर, छाती, मेरूदंड, बांह और हाथ-पैरों पर बर्फ लगाएं या फिर गीला कपड़ा शरीर पर रख दें। जब तक ताप 102 f के नीचे न उतरे, तब तक बर्फ या शीतल जल की पट्टी लगाते रहें। हो सके तो सुगंधित पदार्थ रोगी के पास रख दें। जैसे चंदन, गुलाब, केवड़ा, इत्र या फूल इत्यादि। इससे रोगी को शांति मिलेगी तथा होश आने पर दूध, सोडा, खस का शर्बत, चंदन का शर्बत, गुलाब का शर्बत, हल्का नमकीन गेहूं का दलिया या फलों का रस जैसे- संतरा, अनार, मौसमी, अंगूर, दूध की लस्सी, दही की लस्सी, छाछ आदि दें।

लू से राहत
इनमें से प्राप्त कोई भी औष्ाधि दें और उपचार करें।
प्याज का रस पिलाएं इमली का पानी दें कामदुधा रस चंदन या कोई शीतल शर्बत के साथ दो-दो घंटे पर दें ] श्वास कुठार रस, नागरबेल के पान से दें-चंदन और कपूर घिसकर बदन पर लगाएं, इससे ठंडक रहेगी ] नीम की लकड़ी और लाल चंदन पानी में घिसकर और कलमी शोरा मिलाकर बदन पर लगाएं, ठंडक रहेगी। ] दो नींबू का रस और मिश्री 40 ग्राम को 250 ग्राम पानी में शिकंजी बनाकर पिलाएं। ] लौंग 6 नग और मिश्री 20 ग्राम को पीसकर उसमें आधा कप पानी मिलाकर पिलाएं, लाभ होगा। ] मुरब्बे में से 1 आंवले को धोकर और 10 इलायची को पीसकर पानी में मिलाकर पिलाएं, तो गर्मी शांत होगी और लू से छूटकारा मिलेगा। ] भोजन के बाद नमक मिला हुआ मटा या छाछ पीना ठीक है, इससे नमक की कमी नहीं हो पाती। ] सुबह दही, मटा, राबड़ी में प्याज मिलाकर खाएं। इससे लू में लाभ होता है। ] अमृतधारा 5 बूंद, गुलाबजल में डालकर पिलाएं। ] सौंफ अर्क भी पानी के साथ पिलाएं। ] जलजीरा, नींबू, संतरा, मौसमी आदि फलों का रस, ग्लूकोज, शक्कर, शहद युक्त जल पिलाएं। ] कैरी का पानी भी लू में सर्वोत्तम है।

सावधानी
घर से बाहर हमेशा पानी पीकर निकलें। ] सिर पर धूप से बचाव करने के लिए रूमाल, टोपी का प्रयोग करें। ] खस, चंदन, गुलाब, सुगंधित चीजें और ठंडे पदार्थ प्रयोग में लें। ] दिन में दो बार स्नान करें। ] भूखे नहीं रहें, जब सुबह बाहर काम पर निकलें तो कुछ खाकर जाएं, अधिक चलना हो तो ठंडी छाया में चलें।

सेवन करें
शीतल जल, शीतल पेय, नारियल के जल का पान, चंदन लेप, बर्फ का प्रयोग, लवणमय पदार्थ।
नहीं करें
धूम्रपान, धूप सेवन, तले पदार्थ, दूçष्ात जल, गर्म जल से नहाना, व्यायाम करना, भूखा रहना आदि।

Wednesday 17 October 2012

हाई- बी.पी.और लो- बी.पी.

हाई- बी.पी.और लो- बी.पी. की शिकायत आज कल काफी लोगों को परेशां किये हुए है यहाँ तक कि डॉ.भी इसका समाधान करने में असमर्थ दिखाई देतें हैं

सिर्फ एक ही इलाज कर पातें हैं कि जैसे-तैसे इसे कंट्रोल किया जाये और बढे-घटे ना और किसी को मौत के मुंह में ना जाना पड़े. सारी उम्र दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है

 ,यानी स्थायी इलाज नहीं खोजा जा सका .ऐसी स्थिति में मैंने काफी लोगों को घरेलु नुस्खे आजमाने की सलाह दी . परिणाम आश्र्यजनक रहे,लोगों की दवा धीरे-२ छूट गयी और वे इस ला-इलाज रोग से मुक्ति पा चुकें हैं

अब उन्हें सारी उम्र दवा खाने की ज़रुरत महसूस नहीं होती . यहाँ मैं दोनों प्रकार के बी.पी.ठीक करने का नुस्का जनहित में बताने जा रहा हूँ, आप भी प्रयोग करें लाभ उठायें और दूसरों को भी बताएं हाई बी.पी.के लिए एक अनुभूत नुसका है

कि आप एक चम्मच प्याज़ का रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज़ चाट लिया करें (शहद होने के कारण सुगर के रोगी इसे लेने से डरतें है ,लेकिन इतना शहद उनके लिए लाभकारी ही है अतः सुगर के रोगी भी ले सकतें हैं.) ध्यान रखें बिलकुल ठीक होने तक(कोरस दो माह का है

जिसे ज़रुरत के अनुसार एक माह बढ़ा सकतें हैं ) इसके साथ-२ एलोपेथी दवा भी ज़रुरत के अनुसार लेते रहना है 
,जैसे-२ आप ठीक होते जायेगे वैसे-२ गोली छूटती जाएगी . लो- बी.पी. लिए एक अनुभूत नुसका है कि आप बत्तीस दाने किशमिश के शाम को कांच के गिलास में पानी भरकर भिगो दें

सुबह ख़ाली पेट १-१ दाना खूब आनद से चबा-२कर खा लें, पानी भी पी लें,रोजाना ३२ दाने खाने हैं एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं पीयें ये कोरस एक से तीन महीने का है

ध्यान रखें बिलकुल ठीक होने तक(जिसे ज़रुरत के अनुसार एक माह बढ़ा सकतें हैं ) इसके साथ-२ एलोपेथी दवा भी ज़रुरत के अनुसार लेते रहना है ,जैसे-२ आप ठीक होते जायेगे वैसे-२ गोली छूटती जाएगी

Tuesday 16 October 2012

गैस रुके तो ....

हमारे खान-पान के कारण पेट में गैस बनती ही रहती है,यदि गैस निकलती रहे तो कोई खराबी नहीं हो पाती,यदि रुक गयी तो मुसीबत बन जाती है

कई बार हम शर्म के मारे गैस को रोक लेतें हैं क्योंकि हम नहीं चाहते की आवाज़ करती हुयी गैस निकले और लोगो की हंसी के पात्र बने . (महिलायों को ज्यादा शर्म आती है)हमारे १३ वेगों में से ये भी एक वेग है 

जिसे रोकना नहीं,त्यागना चाहिए.अंदर गैस रुकने से अनेकानेक रोग (जो दर्द पैदा करने वाले होतें हैं)शरीर में कुंडली मार कर बैठ जाते हैं समय बीत जाने के बाद ये असाध्य भी हो जाते हैं 

 पेट में रुकी गैस निकालने का बिलकुल सरल सफल घरेलु नुसका बड़ा की काम का सिद्ध हुआ है आजमायें लाभ उठायें लाभ होने पर दूसरों को भी बताएं मुन्नका (दाख)का बीज निकल कर फैंक दे 

उसके स्थान पर लहसुन की एक तुरी छीलकर लपेट दें और गर्म पानी से निगल जाएँ,या उसके छोटे-२ ,२-३ तुकडे करके निगल जाएँ १५-२० मिनट में पेट में भरी गैस निकल जाएगी और आराम आ जायेगा

Monday 15 October 2012

कौड़ी का दर्द....

कौड़ी का दर्द,यानी कलेजे में दर्द होना भी कहा जाता है, यह दर्द सामने की पसलियों के बीच में होता है, 

जहाँ दबाने से कुछ आराम लगता है.इसका मुख्य लक्षण है, खाया पिया जैसे ऊपर ही अटका सा लगता है जैसे पेट में गया ही नहीं हो.डकार आये तो राहत मिले,

यदि कभी एसा लगे तो ये नुस्का आजमायें ---मुन्नका (दाख-बड़ी) का बीज निकल कर फैंक दें ,बीज जितना बड़ा हीरा हींग का टुकड़ा उसमें लपेट कर गोली सी बना लें|

 और गर्म पानी से निगल जाएँ कुछ ही मिनटों में कौड़ी का दर्द ठीक हो जायेगा (फ्री हेल्थ टिप्स पाने के लिए फ़ोन कर सकतें हैं |

Saturday 13 October 2012

मोटापा ले सकता है बच्चों की जान..


बहुत मोटे बच्चे अगर प्राइमरी स्कूल जा रहे हों या फिर हाई स्कूल, उन्हें हृदय रोग का खतरा हो सकता है.
बच्चों में मोटापा से होनेवाले इस खतरे के बारे में पुर्तगाल में किए गए शोध से पता चला है.

माना जाता है कि मध्य वय के लोगों को हृदय रोग का खतरा होता है, लेकिन हालिया शोध में दो साल से 12 साल के बच्चों में भी यह खतरा दिखने लगता है.
डच शोधार्थियों ने 307 बच्चों के उपर किए गए अध्ययन में पाया कि मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप का लक्षण तो पाया ही गया जो हृदय रोग होने के महत्वपूर्ण लक्षण हैं.
इस शोध को ‘आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहूड’ में पेश किया गया.
पूरी दुनिया में मोटापा एक बड़ी बीमारी के रूप में सामने आने लगा है. आजकल बहुत ही कम उम्र के बच्चे मोटापन का शिकार होने लगते हैं.

बॉडी मास इंडेक्स के अनुसार जिन बच्चों का दो साल की उम्र में बॉडी मास इंडेक्स 20.5 है उन्हें काफी मोटा माना जाता है लेकिन अगर किसी 18 साल के लड़के का इंडेक्स 35 है तो उन्हें भी बहुत मोटा माना जाता है.
एम्सटरडम के वी यू यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में बच्चों पर 2005 से 2010 तक तैयार किए गए आंकड़ो से यह शोध तैयार किया गया है.
उस शोध में पता चला है कि मोटे बच्चों को हृदय रोग का खतरा बना रहता है.
शोध में कहा गया है, “ सबसे बुरी खबर यह है कि 12 वर्ष से कम उम्र के मोटे बच्चों में हृदय रोग के लक्षण दिखाई दिए हैं.”
शोध में कहा गया है कि जिन बच्चों पर शोध किया गया है उनमें से आधा से अधिक बच्चों में उच्च रक्तचाप और कुछ बच्चों में निम्म रक्तचाप के लक्षण पाए गए हैं. साथ ही, कुछ बच्चों में ‘अच्छे कोलेस्ट्रोल’ की मात्रा काफी कम पाई गई. इसके साथ ही मोटे बच्चों में मधुमेह की बीमारी भी पाई गई.
ब्रिटिश हर्ट फॉउंडेशन में हृदय रोग की वरिष्ठ नर्स डोइरन मैडॉक का कहना है, “हालांकि यह काफी छोटा अध्ययन है, फिर भी इस खबर से निराशा होती है.”
डोइरन मैडोक का कहना है, “.”
हालांकि वो कहती है, “यह एक ऐसी समस्या है जिसका समधान ढ़ूढ़ा जा सकता है और अवयस्क बच्चों में बढ़ रहे मोटापा को कम किया जा सकता है.”
डोडरन मैडोक का कहना है कि मोटापा से बचने के लिए बच्चों को स्वस्थ्य खान-पान की तरफ ध्यान आकर्षित कराना पड़ेगा जिससे कि भावी पीढ़ी को बचाया जा सके.

Friday 12 October 2012

एसएमएस से जानें आपकी दवा असली है या नकली


नई दिल्ली। नकली दवाइयां बनाने और बेचने वालों पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। एक फॉर्मा कंपनी ने अल्फा न्यूमेरिकल कोड के जरिए नकली दवाइयों पर नकेल कसने का तरीका शुरू किया है।

हालांकि फिलहाल इसे कुछ ही कंपनियों ने शुरू किया है। इसके लागू होने के बाद अब आम उपभोक्ता दवा खरीदते समय कोड का इस्तेमाल कर ये पता लगा सकेंगे कि जो दवा वो खरीद रहे हैं, वो असली है या नकली।

फॉर्मा कंपनी के मुताबिक भारत में अल्फा न्यूमेरिकल कोड की शुरुआत 2010 से ही हुई है। फिलहाल कुछ दवा कंपनियां ही इस कोड का इस्तेमाल कर रही हैं। इस कोड़ के जरिये पता लगाया जा सकेगा कि कोई भी दवा असली है या नकली। दवा के रैपर के पीछे वाले हिस्से में 9 अंकों का एक नंबर अंकित होगा।

ये अंक अल्फाबेटिकल और न्यूमेरिकल दोनों होगा। इसके अलावा रैपर पर एक मोबाइल नंबर भी लिखा होगा। 9 अंकों वाले नंबर को अपने मोबाइल से एसएमएस के जरिए 990199010 पर एसएमएस कर दे। 10 सेकेंड के अंदर आपके पास एसएमएस आ जाएगा कि जो दवा आपने खरीदी है वो असली है या फिर नकली।

फिलहाल अभी कुछ कंपनियों ने ही अपनी दवाइयों में कोड का इस्तेमाल शुरू किया है। लेकिन फॉर्मा कंपनी का ये प्रयास कुछ हद तक सफल होता नजर आ रहा है। धीरे-धीरे और दवा कंपनियां भी इस पैटर्न को अपना रही है। यहां तक कि सरकार भी फॉर्मा कंपनी से बातचीत कर इसपर विचार कर रही है।

अगर अल्फा न्यूमेरिकल कोड का ये पैटर्न सफल होता है तो न केवल नकली दवाइयों की खरीद बिक्री पर लगाम लगेगी, बल्कि इससे मरनेवाले लोगों की सख्या में भी कमी आएगी।

Thursday 11 October 2012

ऑपरेशन से पैदा हुए बच्चे हो सकते हैं मोटे


अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि कुदरती तरीके के बजाए ऑपरेशन के जरिए जन्म लेने वाले शिशुओं में जरूरत से ज्यादा मोटा होने का खतरा दो गुना ज्यादा होता है.
मेसाचुसेट्स स्थित बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि तीन साल की उम्र तक आते-आते इन बच्चों पर चर्बी चढ़ना शुरु हो जाता है.


शोध दल का कहना है कि हो सकता है कि चीरफाड़ की वजह से उस बैक्टीरिया पर असर पड़ता हो जिसका संबंध भोजन के पाचन से होता है.
शोधकर्ताओं ने वर्ष 1999 से वर्ष 2002 के दौरान 1255 मां-बच्चों का अध्ययन किया.
इन माताओं पर शोध तभी शुरू कर दिया गया था जब उनका गर्भ 22 हफ्तों का भी नहीं था.
जन्म के फौरन बाद शिशु का वजन किया गया. शिशु जब तीन वर्ष का हो गया, उसका वजन दोबारा किया गया.
जन्म का तरीका

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रत्येक चार में से एक बच्चे का जन्म ऑपरेशन के जरिये हुआ.


बच्चे का जन्म कुदरती तरीके से हुआ या ऑपरेशन से, इसक सीधा संबंध बच्चे के वजन और उसकी त्वचा के मोटेपन से पाया गया.
शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि ऑपरेशन के जरिये बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं का वजन अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से बढ़ता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को इस बारे में बताया जाना चाहिए कि ऑपरेशन के जरिए बच्चे को जन्म देने पर बच्चे के मोटे होने का खतरा ज्यादा होता है.
ब्रिटेन में पैदा होने वाले बच्चों में से 23 प्रतिशत से भी ज्यादा शिशुओं का जन्म ऑपरेशन के जरिए होता है.
रॉयल कॉलेज के प्रवक्ता पैट्रिक ओब्रियन का कहना है, ''ये एक रोचक अध्ययन है, लेकिन इसमें जितने मामलों की पड़ताल की गई, उनकी संख्या कम है. इस अध्ययन को अपेक्षाकृत ज्यादा लोगों पर आजमाने की जरूरत है.''

Tuesday 9 October 2012

पेट से जुड़ी कोई भी बीमारी हो, हमें बताएं निदान पाएं

हमारे भारत में खाने को मसालेदार और स्वादिष्ट बनाने के लिए अनेक तरह के मसालों के साथ ही प्याज, लहसुन, अदरक, हरीमिर्च और धनिया आदि डालकर खाने को जायकेदार बनाया जाता है। स्वाद बढ़ाने वाली इन चीजों में कई ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिये वरदान से कम नहीं। क्योंकि ये वस्तुएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को इतना अधिक बढ़ा देती हैं कि उस पर बीमारियां का असर होता ही नहीं। कहते हैं प्याज का तड़का खाने का स्वाद कई गुना बढ़ा देता है।


लेकिन प्याज सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता यह बहुत अधिक गुणकारी भी है। आइए आज हम आपको बताते हैं प्याज के कुछ ऐसे प्रयोग जिन्हें अपनाकर आप भी कई गंभीर समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।प्याज को काटकर सूंघने से भी सिर का दर्द ठीक होता है।  जो खाली पेट रोज सुबह प्याज खाते हैं उन्हें किसी प्रकार की पाचन समस्यायें नहीं होती और दिनभर ताजगी महसूस करते हैं। मासिक धर्म की अनियमितता या दर्द में प्याज के रस के साथ शहद लेने से काफी लाभ मिलता है। इसमें प्याज का रस 3-4 चम्मच तथा शहद की मात्रा एक चम्मच होनी चाहिए।  गर्मियों में प्याज रोज खाना चाहिए। यह आपको लू लगने से बचाएगा। प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।


प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। प्याज के रस में चीनी मिलाकर शर्बत बनाएं और पथरी से पीडि़त व्यक्ति को पिलाएं। इसे प्रात: खाली पेट ही पिएं। मूत्राशय की पथरी छोटे-छोटे कणों के रूप में बाहर निकल जाएगी। लेकिन ध्यान रहे, एक बार में इसका बहुत अधिक सेवन न करें। बवासीर में प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करने से खून आना बंद हो जाता है। घाव में नीम के पत्ते का रस और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से शीघ्र ही घाव भर जाता है। प्याज के रस में दही, तुलसी का रस तथा नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है और रूसी की समस्या से भी निजात मिलती है।

Monday 8 October 2012

हल्दी का उपयोग

हल्दी का उपयोग भारतीय खाने में मसालों के रूप में प्राचीन समय से किया जाता है। हल्दी का सबसे ज्यादा उपयोग दाल व सब्जी में किया जाता है क्योंकि यह दाल व सब्जी का रंग पीला करता है और भोजन को स्वादिष्ट भी बनाती है। मधुमेह रोगियों के लिए हल्दी किसी औषधी से कम नहीं है। मधुमेह के रोगियों को प्रतिदिन गरम दूध में हल्दी चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। दरअसल, हल्दी में वातनाशक गुण होते हैं जिससे मधुमेह की समस्या से निजात पाने में मदद मिलती है।

अपने घर पर ही छोटे-छोटे प्रयोग कर इसके अलग-अलग लाभ उठाए जा सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। खून को साफ करती है। महिलाओं की पीरियड से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करती है।लीवर संबंधी समस्याओं में भी इसे गुणकारी माना जाता है। यही वजह है कि सर्दी-खांसी होने पर दूध में कच्ची हल्दी पाउडर डालकर पीने की सलाह दी जाती है। जरूरी है कि हल्दी को हमेशा एयर टाइट कंटेनर में रखें ताकि इसके स्वाद और गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आए।पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं। चाहें तो इस मिश्रण में थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इससे भी फायदा होगा।

चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयां हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। हल्दी-दूध का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है।खांसी होने पर हल्दी की छोटी गांठ मुंह में रख कर चूसें। इससे खांसी नहीं उठती।त्वचा से अनचाहे बाल हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएं। इसे त्वचा मुलायम रहती है और शरीर के अनचाहे बाल भी धीरे-धीरे हट जाते हैं।

लहसुन खाइए लहसुन के सप्लीमेंट्स नहीं

घरेलू मसालों तथा औषधियों का उपयोग अक्सर छोटी-मोटी बीमारियों में धड़ल्ले से किया जाता है। दादी-नानी के नुस्खों में कहें या ट्रेडिशनल विज्डम के रूप में, हल्दी से लेकर लौंग तक और प्याज से लहसुन तक लगभग हर चीज औषधीय गुण से भरी होती है। यह बात बहुत हद तक सही भी है, लेकिन यहां यह गौर करना जरूरी है कि ऐसी किसी भी औषधि का असर प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है।

एलोपैथी या चिकित्सक द्वारा सुझाई गई दवाइयों को अक्सर प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, संरचना और तासीर के हिसाब से दिया जाता है, जबकि घरेलू दवाइयां हम अक्सर बिना किसी ऐसी पूछताछ या मार्गदर्शन के ही ले लेते हैं। लहसुन का प्रयोग भी इसी श्रेणी में आता है। हृदयरोगियों के लिए यह बहुत अच्छा है या फिर इससे रक्त का शुद्धिकरण होता है आदि कहकर अक्सर लोग लहसुन की कलियों का सेवन करते हैं। इससे भी एक कदम आगे जिन लोगों के घर में लहसुन का प्रयोग वर्जित होता है या जिन्हें लहसुन की गंध पसंद नहीं होती, वे लहसुन के सप्लीमेंट्स धड़ल्ले से ले लेते हैं। यदि आप भी ऐसे लोगों में से हैं तो जरा गौर कीजिए।

चिकित्सकों, विशेषज्ञों तथा जानकारों के अनुसार ऐसे किसी भी प्रयोग के पूर्व लहसुन के सप्लीमेंट्स किस तरह बनाए गए हैं, उन्हें कब पैक किया गया है, उसमें कितने पुराने लहसुनों का प्रयोग किया गया है तथा वे पावडर, तेल अथवा गंधरहित लहसुन सत्व किस रूप में लिए जा रहे हैं, इन सभी बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है।

यही नहीं, इसको किस मात्रा में लेना है, यह भी जानना जरूरी होता है। बाजार में मिलने वाले कई ब्राण्ड्स अक्सर ऐसे उत्पादों का बढ़ा-चढ़ा कर गुणगान करते हैं, लेकिन यह सब कुछ अधिकांशतः उपभोक्ता को प्रभाव में लेने के तरीके होते हैं। इनमें से कई तो मानक पैमाने तक के आसपास नहीं होते और कुछ में तो हानिकारक तत्व होते हैं, जो आप पर उलटा असर कर सकते हैं।

खासतौर पर डाइबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, हाई कोलेस्ट्रॉल तथा ऐसे ही रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को इनका सेवन बहुत ध्यान से या नहीं ही करना चाहिए। यदि आप पहले से कोई दवाई ले रहे हैं और साथ में ऐसे किसी सप्लीमेंट का भी प्रयोग करते हैं तो यह और भी हानिकारक सिद्ध हो सकता है। यह हमेशा ध्यान रखिए कि एक दक्ष तथा जानकार चिकित्सक हमेशा आपकी जांच तथा रोग इतिहास की जानकारी लेने के बाद आपको दवा देता है। इसलिए उसका विकल्प और कुछ भी नहीं हो सकता।

Friday 5 October 2012

लकवा रोग की सरल चिकित्सा.


आधुनिक चिकित्सा विग्यान के मतानुसार लकवा मस्तिष्क के रोग के कारण प्रकाश में आता है।इसमें अक्सर शरीर का दायां अथवा बायां हिस्सा प्रभावित होता है। लकवा का आक्रमण होने पर रोगी को सीलन रहित और तेज धूप रहित कमरे मे आरामदायक बिस्तर पर लिटाना चाहिये।

लकवा पडने के बाद अगर रोगी ह्रीष्ट-पुष्ट है तो उसे ५ दिन का उपवास कराना चाहिये। कमजोर शरीर वाले के लिये ३ दिन के उपवास का प्रावधान करना उत्तम है। उपवास की अवधि में रोगी को सिर्फ़ पानी में शहद मिलाकर देना चाहिये। एक गिलास जल में एक चम्मच शहद मिलाकर देना चाहिये। इस प्रक्रिया से रोगी के शरीर से विजातीय पदार्थों का निष्काशन होगा, और शरीर के अन्गों पर भोजन का भार नहीं पडने से नर्वस सिस्टम(नाडी मंडल) की ताकत पुन: लौटने में मदद मिलेगी।

उपवास के बाद रोगी को कबूतर का सूप देना चाहिये। कबूतर न मिले तो चिकन का सूप दे सकते हैं। शाकाहारी रोगी मूंग की दाल का पानी पियें। रोगी को कब्ज हो तो एनीमा दें।


लहसुन की ५ कली पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर रोगी को चटा दें।


१० ग्राम सूखी अदरक और १० ग्राम बच पीसलें इसे ६० ग्राम शहद मिलावें। यह मिश्रण रोगी को ६ ग्राम रोज देते रहें।

लकवा रोगी का ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें। अगर रोगी के खून में कोलेस्ट्रोल का लेविल ज्यादा हो तो उपाय करना वाहिये।

रोगी तमाम नशीली चीजों से परहेज करे। भोजन में तेल,घी,मांस,मछली का उपयोग न करे।

बरसात में निकलने वाला लाल रंग का कीडा वीरबहूटी लकवा रोग में बेहद फ़ायदेमंद है। बीरबहूटी एकत्र करलें। छाया में सूखा लें। सरसों के तेल पकावें।इस तेल से लकवा रोगी की मालिश करें। कुछ ही हफ़्तों में रोगी ठीक हो जायेगा। इस तेल को तैयार करने मे निरगुन्डी की जड भी कूटकर डाल दी जावे तो दवा और शक्तिशाली बनेगी।
         एक बीरबहूटी केले में मिलाकर रोजाना देने से भी लकवा में अत्यन्त लाभ होता है।
सफ़ेद कनेर की जड की छाल और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकावें। यह तेल लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें। अवश्य लाभ होगा।

लहसुन की ५ कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें। इससे ब्लडप्रेशर ठीक रहेगा और खून में थक्का भी नहीं जमेगा।

लकवा रोगी के परिजन का कर्तव्य है कि रोगी को सहारा देते हुए नियमित तौर पर चलने फ़िरने का व्यायाम कराते रहें। आधा-आधा घन्टे के लिये दिन में ३-४ बार रोगी को सहारा देकर चलाना चाहिये। थकावट ज्यादा मेहसूस होते ही विश्राम करने दें।
लकवा रोगी के लिये जीवनचर्या के खास-खास नियम जो उपर बताये हैं इनका सावधानी से पालन करें। इन उपायों से अधिकांश रोगी ठीक होगे।

Thursday 4 October 2012

अधिक चाय पीने से हो सकता है कैंसर


अधिक चाय पीने वाले पुरुषों के लिए चेतावनी है कि अगर वो दिन में सात कप या उससे अधिक अधिक पीते हैं तो उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है.
ब्रिटेन के ग्लासगो विश्वविद्यालय ने छह हजार लोगों पर 37 वर्षों तक शोध करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है.

उन्होंने अपने शोध में बताया है कि जो लोग भर दिन में सात या सात से अधिक कप चाय पीते हैं उन्हें चाय न पीने वाले या सात कप से कम चाय पीने वालों की तुलना में पचास फीसदी अधिक कैंसर होने की आशंका है.
हालांकि ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा है कि वो यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि चाय की वजह से ही कैंसर हो रहा है या फिर उस खास जगह पर उनके रहने से लोगों को कैंसर हो रहा है.
मरीजों में वृद्धि

स्कॉटलैंड के पुरुषों में प्रोटेस्ट कैंसर पिछले दस साल में लगभग 7.4 फीसदी की दर से बढ़ी है.
स्कॉटलैंड में मिडस्पान के सहयोग से यह शोध वर्ष 1970 में शुरु हुआ जिसमें 21 साल से 75 साल के 6,016 पुरुषों को शामिल किया गया था.
"

जिन लोगों के उपर यह शोध किया गया, उन्हें एक प्रश्न सूची देकर उनसे उनके खान-पान के बारे में पूछा गया था कि वे चाय, कॉफी, सिगरेट या फिर शराब कितना पीते हैं और सामान्यतया उन लोगों का स्वास्थ्य कैसा रहा है. उसके बाद उनके स्वास्थ्य की जांच भी की गई थी.
शोध में शामिल किए गए लोगों में पाया गया उनमें से एक चौथाई लोग अधिक मात्रा में चाय पीते थे.
प्रोस्टेट कैंसर

शोध में पाया गया कि उनमें से 6.4 फीसदी लोगों में 37 वर्षों के दौरान प्रोस्टेट कैंसर पाया गया.

शोधकर्ताओं ने पाया कि जो पुरुष भर दिन में सात कप चाय पीते हैं उनमें चार कप या उससे कम चाय पीनेवालों के मुकाबले में कैंसर का खतरा बढ़ा हुआ है.

इसके प्रमुख शोधकर्ता ग्लासगो विश्ववद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड वेलबीइंग के डॉक्टर खरीफ शफीक थे.

डॉक्टर शफीक का कहना है, “पहले किए गए ज्यादातर शोध में यह बताया गया है कि चाय पीने वालों को कैंसर या तो नहीं होता है या फिर कैंसर में काली चाय पीना या ग्रीन टी पीना लाभदायक होता है.”

उनका कहना था, “हमें नहीं पता कि चाय पीने से ही कैंसर होता है या फिर जहां वे रह रहे हैं उन्हें कैंसर होता है. लेकिन शोध से हमें पता चला कि जो लोग ज्यादा चाय पीते हैं वे कम मोटे होते हैं, वे समान्यतया शराबी नहीं होते हैं और उनका कोलेस्ट्रोल स्तर कम होता है.”

डॉक्टर शफीक का कहना है, “हमने अपने विश्लेषण में उन सभी बातों को ध्यान में रखा लेकिन पाया कि जो लोग ज्यादा चाय पीते हैं वे प्रोसटेट कैंसर के अधिक शिकार होते हैं.”

ग्रीन टी
इडिनबर्ग एंड लोथियन प्रोसटेट कैंसर सपोर्ट ग्रुप के सदस्य क्रिस गार्नर का कहना है कि उस शोध से वो चाय पीना नहीं छोड़ेंगें.

दस साल पहले उन्हें पता चला कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है. उस समय से उन्होंने गुणकारी खाना खाना शुरु कर दिया और ग्रीन चाय पीनी शुरु कर दी.

क्रिस गार्नर का कहना है, “होता यह है कि आपको एक तरफ कुछ और बताया जाता है और दूसरी तरफ कुछ और बताया जाता है और आप इस असमंजस में फंसे होते हैं कि किसे सही मानें. लेकिन मेरा कहना है कि अगर आप बेहतर खाना खाते हैं तो चाय पीना या न पीना इतना महत्वपूर्ण रह नहीं जाता.”

प्रोटेस्ट कैंसर चैरिटी के प्रमुख डॉक्टर केट होम्स का कहना है, “ऐसा लगता है कि जिन छह हजार लोगों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया है और जो लोग प्रतिदिन सात या उससे अधिक चाय पीते हैं, उनके उपर किए गए शोध में परिवार और उनके खाने-पीने की आदतों का ध्यान नहीं रखा गया है.”

केट होम्स के अनुसार, “इसलिए हम यह नहीं चाहेगें कि कोई व्यक्ति इस बात से परेशान हों कि अगर वो चाय पीते हैं तो उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है जबकि वो बेहतर खाना खाते हैं.”
इस शोध को न्यूट्रीशन एंड कैंसर पत्रिका ने छापा है.

Unhealthy Heart

We've all read the signs of a heart attack listed on posters in the hospital waiting room. But what if there were other, earlier signs that could alert you ahead of time that your heart was in trouble? 
It turns out there are. Researchers have done a lot of work in recent years looking at the signs and symptoms patients experienced in the months or even years leading up to a heart attack. "The heart, together with the arteries that feed it, is one big muscle, and when it starts to fail the symptoms can show up in many parts of the body," says cardiologist Jonathan Goldstein of St. Michael's Medical Center in Newark, New Jersey. Here are five surprising clues that your heart needs checking out. Any of these signs -- and particularly two or more together -- is reason to call your doctor for a workup, says Goldstein.

1.    Neck Pain 

Feel like you pulled a muscle in the side of your neck? Think again, especially if it doesn't go away. Post-heart attack, some patients remember noticing that their neck hurt and felt tight, a symptom they attributed at the time to muscle strain. People commonly miss this symptom because they expect the more dramatic acute pain and numbness in the chest, shoulder, and arm. Women in particular are less likely to experience heart pain that way, and more likely to feel twinges of pain and a sensation of tightness running along the shoulder and down the neck, says Margie Latrella, an advanced practice nurse in the Women's Cardiology Center in New Jersey and coauthor of Take Charge: A Woman's Guide to a Healthier Heart (Dog Ear, 2009). The pain might also extend down the left side of the body, into the left shoulder and arm.
Why it happens:
Nerves from damaged heart tissue send pain signals up and down the spinal cord to junctures with nerves that extend out into the neck and shoulder.
What distinguishes it:
The pain feels like it's radiating out in a line, rather than located in one very specific spot. And it doesn't go away with ice, heat, or muscle massage.

 2.    Sexual problems

Having trouble achieving or keeping erections is common in men with coronary artery disease, but they may not make the connection. One survey of European men being treated for cardiovascular disease found that two out of three had suffered from erectile dysfunction for months or years before they were diagnosed with heart trouble. Recent studies on the connection between ED and cardiovascular disease have been so convincing that doctors now consider it the standard of care to do a full cardiovascular workup when a man comes in complaining of ED, according to cardiologist Goldstein says. "In recent years there's been pretty clear evidence that there's a substantially increased risk of heart attack and death in patients with erectile dysfunction," Goldstein says.
Why it happens:
Just as arteries around the heart can narrow and harden, so can those that supply the penis. And because those arteries are smaller, they tend to show damage much sooner -- as much as three to four years before the disease would otherwise be detected.
What distinguishes it:
In this case, the cause isn't going to be immediately distinguishable. If you or your partner has problems getting or maintaining an erection, that's reason enough to visit your doctor to investigate cardiovascular disease as an underlying cause. "Today, any patient who comes in with ED is considered a cardiovascular patient until proven otherwise," says Goldstein. 

3.    Dizziness, faintness, or shortness of breath. 

More than 40 percent of women in one study published in Circulation: Journal of the American Heart Association, reported having experienced shortness of breath in the days before a heart attack. You might feel like you can't breathe, or you might feel dizzy or faint, as you would at high altitude. If you can't catch your breath while walking upstairs, vacuuming, weeding the garden, or doing other activities that previously caused you no trouble, this is a reason to be on the alert.
Why it happens:
Not enough blood is getting through the arteries to carry sufficient oxygen to the heart. The heart muscle pain of angina may also make it hurt to draw a deep breath. Coronary artery disease (CAD), in which plaque builds up and blocks the arteries that feed the heart, prevents the heart from getting enough oxygen. The sudden sensation of not being able to take a deep breath is often the first sign of angina, a type of heart muscle pain.
What distinguishes it:
If shortness of breath is caused by lung disease, it usually comes on gradually as lung tissue is damaged by smoking or environmental factors.
If heart or cardiovascular disease is the cause, the shortness of breath may come on much more suddenly with exertion and will go away when you rest. 

4.    Indigestion, nausea, or heartburn

Although most of us expect pain from any condition related to the heart to occur in the chest, it may actually occur in the abdomen instead. Some people, particularly women, experience the pain as heartburn or a sensation of over-fullness and choking. A bout of severe indigestion and nausea can be an early sign of heart attack, or myocardial infarction, particularly in women. In one study, women were more than twice as likely as men to experience vomiting, nausea, and indigestion for several months leading up to a heart attack.
Why it happens:
Blockages of fatty deposits in an artery can reduce or cut off the blood supply to the heart, causing what feels like tightness, squeezing, or pain -- most typically in the chest but sometimes in the abdomen instead. Depending on which part of your heart is affected, it sends pain signals lower into the body. Nausea and light-headedness can also be signs that a heart attack is in progress, so call your doctor right away if the feeling persists.
What distinguishes it:
Like all types of angina, the abdominal pain associated with a heart problem is likely to worsen with exertion and get better with rest. Also, you're likely to experience repeated episodes, rather than one prolonged episode as you would with normal indigestion or food poisoning.

5.    Jaw and ear pain

Ongoing jaw pain is one of those mysterious and nagging symptoms that can have several causes but can sometimes be a clue to coronary artery disease (CAD) and impending heart attack. The pain may travel along the jaw all the way to the ear, and it can be hard to determine which it's coming from, says cardiovascular nurse Margie Latrella. This is a symptom doctors have only recently begun to focus on, because many patients surveyed post-heart attack report that this is one of the only symptoms they noticed in the days and weeks leading up to the attack.

Why it happens:

Damaged heart tissue sends pain signals up and down the spinal cord to junctures with nerves that radiate from the cervical vertebrae out along the jaw and up to the ear.

What distinguishes it:

Unlike the jaw pain caused by temporomandibular joint disorder (TMJ), tooth pain, or ear infection, the pain doesn't feel like it's in one isolated spot but rather like it's radiating outward in a line. The pain may extend down to the shoulder and arm -- particularly on the left side, and treatments such as massage, ice, and heat don't affect it.

Wednesday 3 October 2012

HOME REMEDY(appendix) होम-रेमेडी (एपेंडिस)

एपेंडिस हमारे पेट के दायीं ओर होती है ,हमारे पेट की आँतों का अंतिम छोर पर एक नलकी सी होती है ,कई कारणों से ये भर कर फूलने लगती है 

 कई बार ये अधिक फूल कर फट भी जाती है .डॉ.इसे फालतू की नाड़ी कह कर ओपरेशन से निकल देतें हैं .

यदि समय रहते ध्यान दिया जाये तो ओपरेशन की नौबत नहीं आती.समय रहते इसे घरेलू इलाज़ से कुछ ही दिनों में ठीक किया जा सकता है 

करना भी कुछ खास नहीं है --- एपेंडिस से पीडीत को अरंडी का तेल कुछ दिन लगातार सुबह - शाम ३-४ चम्मच पिलाते रहो ,इससे दर्द भी ठीक होगा ओर एपेंडिस भी ठीक हो जाता है.

Tuesday 2 October 2012

B.B.C. KE SAABHAAR

blood sample
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक़ टीबी का पता लगाने के लिए होने वाली ख़ून की जाँच ग़लत है और इस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए.
हर साल 20 लाख से ज़्यादा ऐसे टेस्ट होते हैं, लेकिन डब्लूएचओ का कहना है कि इनसे बीमारी का सही पता नहीं चलता और इस कारण लोगों का ग़लत इलाज भी होता है.
संगठन का कहना है कि इस तरह के टेस्ट लोगों की ज़िंदगी ख़तरे में डालते हैं. टीबी का पता लगाने के लिए होने वाली ख़ून की जाँच करोड़ों का व्यवसाय है.
जिन देशों में टीबी का स्तर ज़्यादा है, वहाँ मरीज़ ऐसे एक टेस्ट के लिए 1500 रुपए तक देते हैं. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ उनका पैसा बेकार जा रहा है.
ऐसे टेस्टिंग किट्स की समीक्षा के बाद संगठन ने दावा किया है कि कम से कम 50 प्रतिशत मामलों में इनकी रिपोर्ट ग़लत होती है.
और तो और ये टेस्ट कई बार टीबी बैक्टीरिया का पता नहीं लगा पाते, जिससे उन लोगों को ये कह दिया जाता है कि उन्हें टीबी है ही नहीं, जबकि उन्हें ये बीमारी होती है.
अनैतिक
इसके उलट कई बार इस जाँच से ऐसे लोगों में भी टीबी होने की बात सामने आ जाती है, जिन्हें दरअसल टीबी होता ही नहीं है. इस कारण ऐसे लोग बिना बीमारी के इलाज करा रहे होते हैं.
डब्लूएचओ का कहना है कि बाज़ार में ऐसे कम से कम 18 टेस्टिंग किट्स हैं. इनमें से ज़्यादातर यूरोप और उत्तरी अमरीका में बनाए जाते हैं. लेकिन कड़े नियमों के कारण इनकी बिक्री वहाँ नहीं होती.
लेकिन विकासशील देशों में ऐसा नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ये अनैतिक है. संगठन के डॉक्टर कैरेन वेयर के मुताबिक़ ऐसे टेस्ट लोगों का जीवन ख़तरे में डाल रहे हैं.
डब्लूएचओ ने देशों से अपील की है कि वे इन टेस्टिंग किट्स पर पाबंदी लगाएँ. संगठन का कहना है कि लोगों को अन्य टेस्ट जैसे माइक्रो बॉयोलॉजिकल और मोलेक्यूलर टेस्ट्स पर निर्भर करना चाहिए

Monday 1 October 2012

नाखून (Nakhoon-Nails)

नाखून हमें मिले हैं बीस ,इनमें से हम आधे नाखूनों की ही विशेष संभाल करतें हैं .वों हैं हाथों के दस नाखून . महिलाएं तो अतिविशेष ध्यान रखतीं हैं नाखून को सुन्दर बनाने के अनेक साधन बाज़ार में मिल जातें हैं , इन्हें हम ये भी कह सकते हैं कि नाखूनों को ढकना . 



क्या ये नाखून वास्तव में स्वस्थ हैं ? 

नाखून देखकर शरीर के भीतर छिपे बैठे अनेकानेक रोगों का पता लगता है . नाखून वास्तव में स्वस्थ हैं ? तो हम भीतर से भी स्वस्थ होंगे . जैसे त्वचा के माध्यम से हम कई चीजों का सेवन करतें हैं ,(जैसे मालिश) वैसे ही नाखूनों के द्वारा भी सेवन करतें हैं. नाखूनों को सुन्दर,चमकीला,स्वस्थ रखने के लिए एक सिंपल सा नुस्खा बताने जा रहा हूँ. जिस नीम्बू को निचोड़ कर हम सिकंजी बनाकर पी लेतें हैं ,उसके छिलके फैंक देतें हैं .वे बड़े काम के हैं . उन छिलकों को अपने २० नाखूनों पर रगड़े . इससे नाखून सुन्दर होने के साथ-२ मज़बूत भी होंगे .साथ ही शरीर को नीम्बू में पाए जाने वाले गुणों व विटामिन का लाभ भी मिलेगा . एक बात और कई बार किसी प्रकार की चोट से नाखून में ही नहीं पूरे शरीर में दाह लगने लगती है जलन और पीड़ा से बुरा हाल हो जाता है ऐसी हालत में ये नुसखा आजमायें तुरंत राहत पाए पीतल के बरतन पर चार बूंद पानी,चार बूंद सरसों का तेल दाल कर उंगली से खूब रगड़े तेल-पानी मिलकर मलहम सी बन जाएगी ,जिसे रुई पर लगाकर ,चोट लगे नाखून पर लगा दें . ये फाहा रखते ही नाखून के दर्द में राहत मिलेगी. पूरे शरीर की दाह भी तुरंत मिट जाएगी खास बात टूटा नाखून भी भली प्रकार से दुबारा आ जायेगा


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