Tuesday 12 February 2013

स्वाइन फ्लू: सजगता से संभव है समाधान

उत्तर भारत के कई राज्यों में इन दिनों स्वाइन फ्लू का प्रकोप जारी है। अगर कुछ सजगताओं पर अमल किया जाए, तो इस रोग से बचा जा सकता है। समय रहते समुचित इलाज कराने से इस रोग को दुरुस्त किया जा सकता है..

स्वाइन फ्लू एक सक्रामक सास सबधी रोग है। यह रोग एच1एन1 वाइरस से होता है। यह वाइरस सक्रमित व्यक्ति के छींकने या खासते वक्त निकलने वाली दूषित सूक्ष्म बूंदों के साथ सास के जरिये शरीर में प्रवेश कर जाता है।

लक्षण

-स्वाइन फ्लू के लक्षण साधारण फ्लू के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं।

-बुखार आना, खासी और गले में खराश।

-नाक का बहना।

-शरीर में दर्द,सिर दर्द, ठंड लगना और थकान महसूस करना।

-इसके अतिरिक्त मौसमी फ्लू की तुलना में स्वाइन फ्लू का हमला दस्त और उल्टी सरीखी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी पैदा कर सकता है।


इन बातों पर दें ध्यान

दमा, मधुमेह और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कहीं ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि स्वाइन फ्लू के कारण उनके रोग की स्थिति और भी गभीर हो सकती है।

डॉक्टरों के लिये सबसे अधिक चिता का विषय गर्भवती महिलाएं हैं। जब उनके गर्भ में पल रहा शिशु बढ़ता है, तब उनके फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। इस कारण जब उन पर स्वाइन फ्लू का हमला होता है तो उन्हें सास लेने में दिक्कत महसूस होती है। यही नहीं,गर्भवती महिलाओं में वाइरस से सबधित बीमारियों के होने की आशकाएं कहीं अधिक बढ़ जाती हैं।

बच्चों में तत्रिका तत्र से सबधित जटिलताएं जैसे बेहोशी, चिड़चिड़ापन या याददाश्त में कमी की समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जबकि वयस्कों में अचानक चक्कर आना या भ्रम उत्पन्न होने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

क्या करें तब, जब हो कोई बीमार

-जब परिवार का कोई सदस्य स्वाइन फ्लू से ग्रस्त हो जाता है, तो उसे अनिवार्य तौर पर घर के एक कमरे में अन्य लोगों से अलग रखा जाना चाहिए।

-घर के सभी लोगों को नियमित तौर पर अच्छी तरह से हाथ धोने चाहिए।

-इसके अलावा रोगी की सेवा करने वालों को हाथ धोने के मामले में खास सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें मुंह पर पूरी तरह से टाइट सर्जिकल मास्क लगाना चाहिए। सेवा करनेवाले व्यक्ति को रोगी के कपड़ों को धोने में खास सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें अपने शरीर से नहीं सटाना चाहिए।

-घर के फर्श को कीटनाशकों से नियमित रूप से साफ किया जाना चाहिए।

बचाव

सक्रमण फैलने से रोकने के लिये आपको छींकते या खासते समय अपने नाक और मुंह को टिश्यू पेपर या रूमाल से ढक लेना चाहिये। इस्तेमाल किये गये टिश्यू पेपर को फेंक देना चाहिए। आख,कान नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिये ताकि दूषित चीजों से सक्रमण नहीं हो। स्वाइन फ्लू से ग्रस्त जिन लोगों की स्थिति गभीर नहीं है,उन्हें घर में रहना चाहिए। इस रोग से बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, जिसे डॉक्टर के परामर्श से ही लगवाएं।

समुचित इलाज कराएं

कानपुर के वरिष्ठ सास रोग विशेषज्ञ डॉ. ए.के.सिह के अनुसार इस रोग की प्रमुख दवा टैमी फ्लू है। इसका इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श के बगैर नहींकरना चाहिए। कभी-कभी स्वाइन फ्लू के रोगी के निकट सपर्क में आने वाले लोगों पर भी इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।

डॉ.सिह की राय है कि स्वाइन फ्लू के लक्षणों के आधार पर यह बताना अत्यत कठिन है कि कि यह साधारण इंफ्लूएंजा है या फिर स्वाइन फ्लू। सिर्फ जाच के बाद ही यह निश्चित किया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति स्वाइन फ्लू से ग्रस्त है। उनके अनुसार बुखार उतारने के लिए साधारण पैरासीटामॉल का प्रयोग किया जाना चाहिए। पेनकिलर्स और स्टेरायड्स दवाओं का इस्तेमाल न करें।

जाच: 'थ्रोट सिक्रीशन' की जाच से इस रोग के वाइरस एच1एन1 का पता चलता है।

इसलिए कहते हैं स्वाइन फ्लू

अंग्रेजी के स्वाइन शब्द का अर्थ सुअर होता है। शुरुआत में सुअरों में इस वाइरस के पाए जाने के कारण इसे स्वाइन फ्लू कहा जाने लगा। अनेक कारणों से कालातर में इस रोग का सक्रमण मनुष्यों में हुआ। अब यह रोग स्वाइन फ्लू से ग्रस्त किसी व्यक्ति के सपर्क में आने से दूसरे व्यक्तियों में फैल रहा है।

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